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अचलेश्वर मंदिर के डिजाइन में वृद्ध व दिव्यांगों को प्रवेश के लिए रैम्प का प्रविधान नहीं

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 ग्वालियर। नगर में प्रमुख आस्था के केंद्र अचलेश्वर मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। तीन करोड़ 11 लाख रुपये की लागत से बनने वाले इस मंदिर की संरचना में गर्भगृह प्रवेश के चारों द्वारों में से किसी एक पर भी दिव्यांग व वृद्धों के प्रवेश के लिए रैम्प बनाने का कोई प्रविधान नहीं है। ऐसे में दिव्यांग व वृद्धों को भगवान अचलनाथ के बाहर से ही दर्शन कर संतोष करना पड़ेगा। अचलेश्वर मंदिर में प्रतिदिन तीन से चार हजार शिवभक्त दर्शनों के लिए आते हैं। सोमवार को यह संख्या 10 हजार पार कर जाती है और महाशिवरात्रि में सवा से डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं। मंदिर निर्माण से जुड़े न्यास के सदस्यों का कहना है कि कुछ निर्णय मंदिर के निर्माण के साथ लिये जाने थे। मंदिर के प्रवेश द्वारों में से कम से कम एक पर स्लोप जरूरी है। यहां बता दें कि स्कूल के अलावा सरकारी दफ्तरों, स्टेशनों व बस स्टैंडों पर दिव्यांगों व वृद्धों के आने-जाने में सहूलियत के लिए रैम्प बनाये जाते हैं। नगर के प्रमुख मंदिरों में भी श्रद्धालुओं के लिए रैम्प व ग्रिल पकड़कर चढ़ने की व्यवस्था की जाती है।

रैम्प का निर्माण किया जा सकता है

फिलहाल मंदिर के डिजाइन में प्रवेश द्वारों में से किसी एक पर भी स्लोप बनाने की व्यवस्था नहीं है। मंदिर संचालन समिति के कहने पर किसी भी एक द्वार पर दिव्यांगों व वृद्धों के लिए स्लोप बनाकर स्टील की ग्रिल लगाई जा सकती है, जिससे कोई भी आसानी से मंदिर में प्रवेश कर सकेगा।

-जगदीश मित्तल, ठेकेदार

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