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भारत के मुरीद हुए ये चार देश, 15 साल में करेंगे 8 लाख करोड़ का निवेश

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भारत और चार देशों के यूरोपीय समूह ईएफटीए ने निवेश और वस्तुओं एवं सेवाओं के दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए रविवार को एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए. एफटीए के तहत ईएफटीए ने अगले 15 साल में भारत में 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एफटीए पर हस्ताक्षर को ऐतिहासिक पल करार देते हुए कहा कि यह भारत का ऐसे समूह के साथ पहला आधुनिक व्यापार करार है, जिसमें विकसित देश शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि किसी व्यापार करार में यह पहला मौका है, जब ईएफटीए ने अगले 15 साल में 100 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है. यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के सदस्य देशों में आइसलैंड, लीशटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल हैं. समझौते में 14 अध्याय हैं. इनमें माल में व्यापार, उत्पत्ति के नियम, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सेवाओं में व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल है.

जॉब में होगा इजाफा

ईएफटीए सदस्यों की ओर से संघीय काउंसलर गाई पार्मेलिन ने कहा कि ईएफटीए देशों को वृद्धि के एक प्रमुख बाजार तक पहुंच मिली है. हमारी कंपनियां अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक जुझारू बनाते हुए उनमें विविधता लाने का प्रयास करेंगी. इसके एवज में भारत को ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश मिलेगा. इससे अंततः अच्छी नौकरियों में वृद्धि होगी… कुल मिलाकर टीईपीए से हमें अपनी आर्थिक क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने और भारत और ईएफटीए दोनों के लिए अतिरिक्त अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.

​निवेश को मिलेगा बढ़ावा

मुक्त व्यापार समझौते के तहत, दो व्यापारिक साझेदार सेवाओं और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को आसान बनाने के अलावा, उनके बीच व्यापार की वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को काफी कम या समाप्त कर देते हैं. भारत और ईएफटीए आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जनवरी, 2008 से आधिकारिक तौर पर व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) समझौते पर बातचीत कर रहे थे. दोनों पक्षों ने अक्टूबर, 2023 में वार्ता फिर शुरू की और इसे तेजी से पूरा किया.

ईयू का मेंबर नहीं है ईएफटीए

ईएफटीए देश यूरोपीय संघ (ईयू) का हिस्सा नहीं हैं. यह मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और तेज करने के लिए एक अंतर-सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना उन देशों के लिए एक विकल्प के रूप में की गई थी जो यूरोपीय समुदाय में शामिल नहीं होना चाहते थे. भारत 27 देशों के समूह यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ अलग से एक वृहद मुक्त व्यापार करार के लिए बातचीत कर रहा है.

इससे पहले भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए वार्ता को तेजी से पूरा करने की रणनीति अपनाई थी. भारत-ईफएटीए का द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 18.65 अरब डॉलर रहा था. यह 2021-22 में 27.23 अरब डॉलर था. पिछले वित्त वर्ष में व्यापार घाटा 14.8 अरब डॉलर था. इन देशों में स्विट्जरलैंड, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. इसके बाद नॉर्वे का स्थान है.

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