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बेहद महत्वपूर्ण है सकट चौथ का व्रत, यहां जानिए पूजा विधि और खास मंत्र

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इंदौर। सनातन धर्म में भगवान गणपति को प्रथम पूज्य माना जाता है। कहा जाता है कि बप्पा की पूजा करने से सभी काम बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं। हर चतुर्थी पर भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। भगवान गणेश की विशेष कृपा पाने के लिए सकट चौथ का व्रत करना चाहिए। कहा जाता है कि जो लोग इस दिन (तिलकुटा चौथ 2023) व्रत रखते हैं, उन्हें पूरे वर्ष चतुर्थी का फल मिलता है। इस वर्ष सकट चतुर्थी 29 जनवरी 2024 को मनाई जाने वाली है।

सकट चौथ का महत्व

सकट चौथ का बहुत धार्मिक महत्व है, जो महिलाएं इस व्रत को रखती हैं, उन्हें अपने बच्चों के लिए सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन व्रत रखा जाता है, भगवान गणेश की पूजा की जाती है और अपने परिवार की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं। इस व्रत को तिलकुटा चतुर्थी, बड़ी चतुर्थी या माघी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

द्वादश नाम मंत्र

”गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:

नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:

गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम॥”

कार्य में सफलता प्राप्ति के लिए मंत्र

”वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”

बिना बाधा कार्य पूर्ति के लिए मंत्र

”त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।”

सकट चौथ पूजा विधि

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  • इसके बाद घर और पूजा स्थल को साफ करें।
  • भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और घी का दीपक जलाएं।
  • पीले फूल और दूर्वा घास चढ़ाएं।
  • मोदक, तिल और गुड़ के लड्डू का भोग अर्पित करें।
  • फिर सकट कथा का पाठ करें और अंत में आरती करें।
  • व्रत रखने वाले भक्त पूजा पूरी करने के बाद प्रसाद खाकर अपना उपवास खोलें।
  • इस दिन तामसिक भोजन का बिल्कुल भी सेवन न करें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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