Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
‘अरबाज भाई हमारे बाप हैं’… भोपाल में बदमाशों ने नाबालिग को निर्वस्त्र कर पीटा, बार-बार यही बुलवाया MP में चीतों को मिला नया घर, अब इस इलाके में शिफ्ट किए जाएंगे चीते बदमाशों ने जेसीबी से ढहा दिया पब्लिक टॉयलेट, उखाड़ ले गए गेट, कार्रवाई न होने पर CMO के पैरों में गिर... पहले इश्क, फिर निकाह और अब कत्ल, इस हालत में मिला पत्नी का शव; क्यों हैवान बना पति? छत पर सो रहा था परिवार खिड़की तोड़कर अंदर घुसे चोर, सोना चांदी सहित नगदी कर दी गायब जिम में वर्कआउट करते समय अचानक गिर गया कारोबारी, हुई मौत चीतों का पुनर्वास प्रकृति से प्रगति और प्रगति से प्रकृति के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम : CM मोहन य... CM हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण में लापरवाही बरतना पड़ा भारी, 10 कर्मचारी निलंबित शादी का सफर बन गया आखिरी दो दोस्तों की मौत,घर के बाहर खेल रही 6 साल की बच्ची को ट्रैक्टर ने कुचला गम में बदली खुशियां, बारात लेकर जा रहे दूल्हे की कार पलटी, मची चीख पुकार

विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बड़ा बयान, ‘पाकिस्तान से वार्ता चाहते हैं, पर शर्तों पर नहीं’

24

विदेश मंत्री ने कहा, कई दशकों तक ऐसा चला, लेकिन अब भारत ने यह खेल खेलना बंद कर दिया है। हम चाहते हैं कि पड़ोसी देश से बात हो।

  1. जयशंकर ने समाचार एजेंसी ANI को दिया इंटरव्यू
  2. पाकिस्तान को साफ संदेश, पहले आतंकवाद खत्म करो
  3. कनाडा समेत कई विषयों पर बोले, देखिए वीडियो

एजेंसी, नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा है कि भारत चाहता है कि पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू हो, लेकिन शर्तों पर नहीं। पाकिस्तान को पहले सीमा पार से आतंकवाद खत्म करना होगा।

एस. जयशंकर ने समाचार एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान की हमेशा से मंशा रही है कि वह सीमा पार आतंकवाद के अपने हथकंडे का उपयोग भारत को वार्ता के लिए मजबूर करने के लिए करे।’

‘कई दशकों तक ऐसा चला, लेकिन अब भारत ने यह खेल खेलना बंद कर दिया है। हम चाहते हैं कि पड़ोसी देश से बात हो। आखिरी पड़ोसी, पड़ोसी होता है, लेकिन इसके लिए कोई शर्त नहीं होगी। आतंकवाद के खिलाफ भारत के सख्त रुख ने पाकिस्तान के इस हथकंडे को पूरी तरह अप्रासंगिक बना दिया।‘

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत हमेशा माइंड गेम में चीन से हारता है, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हम हमेशा हारे हैं, लेकिन पहले के कुछ फैसलों को आज समझना मुश्किल है। पंचशील समझौता ऐसा ही एक और उदाहरण है। विश्वास करना हमारी आदत रही है। यह हमारे आचरण में है। अन्य देशों के साथ भी हम इसी तरह बर्ताव करते हैं।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.