जबलपुर। फर्जी खाद्य अधिकारी बताकर व्यापारियों को ठगने वाले उत्तम सिंह ने अपने किरदार को रौबदार जताने के लिए जीआरपीएफ से बर्खास्त आरक्षक बृजेश दुबे को सुरक्षा कर्मी रखा था वहीं बेटा सार्थक सेक्रेटी बनकर काम करता था। जैसे ही वे किसी दुकान में घुसते, तो सार्थक लिखा पढ़ी करने लगता। वहीं बृजेश खुद को कभी आरक्षक तो कभी पुलिस अफसर बताता था। पुलिस को यह पता चला है कि आरोपितों ने रांझी और खमरिया में अपना जाल फैला रखा था। वे ठेले और सड़क किनारे बैठकर व्यापार करने वालों से भी वसूली करते थे।
उत्तम और उसके साथियों ने दीपक पर धौंस दिखाई
बता दे कि रांझी व्यापारी संघ के कोषाध्यक्ष दीपक साहू की किशन होटल के पास मिठाई की दुकान है। 22 दिसम्बर की दोपहर में वे दुकान पर थे। उनकी दुकान पर उतम सिंह पहुंचा। उसके साथ उसका बेटा सार्थक समेत साथी अविनाश कामले और बृजेश दुबे भी थे। उत्तम ने खुद को अंतराष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति का अध्यक्ष बताया और मिठाई व अन्य समान की जांच करने लगा। उत्तम और उसके साथियों ने दीपक पर धौंस दिखाई।
उत्तम बेटे सार्थक और साथी अविनाश और बृजेश पर प्रकरण दर्ज
दीपक पर अधिक कीमत में सामान बेचने का आरोप लगाया, तो दीपक ने इस बात को नकार दिया। जिसके बाद उत्तम और उसके साथियों ने दीपक से मामले को निपटाने के एवज में लेनदेन करना चाहा। यह सुनते ही दीपक समझ गया कि मामला गड़बड़ है। जिसके बाद मामले की सूचना रांझी पुलिस को दी गई थी। मामले में पुलिस ने उत्तम उसके बेटे सार्थक और साथी अविनाश और बृजेश पर प्रकरण दर्ज किया।
मामला तीन हजार में तय हुआ था
जांच में पता चला कि पिछले साल उत्तम सिंह अपने गुर्गो के साथ रांझी के बड़ा पत्थर िस्थत एक होटल में पहुंचा था। जहां खुद को खाद्य विभाग का अधिकारी बता जांच की। वहां कमियां निकाली और फिर मामला निपटाने के लिए तीस हजार रुपए की मांग की थी। हालांकि बाद में मामला तीन हजार में तय हुआ था। इसके बाद भी उत्तम और उसके साथी कई बार उस होटल में गए थे।
कार्रवाई के नाम पर डराकर वसूली
उत्तम और उसकी टीम दुकान संचालको को पहले धमकाती थी। एफआईआर कराने और लाइसेंस रद्द कराने का खौफ दिखाती। जैसे ही व्यापारी दहशत में आते, तो फिर उसके टीम के लोग दुकान संचालक से मामला निपटाने के एवज में रुपयों की मांग करना शुरू कर देते थे। कुछ व्यापारियों का आरोप है कि आरोपी बंदूक लेकर चलते थे, लेकिन जब पुलिस ने उन्हें पकड़ा, तो उनके पास बंदूक नहीं मिली।
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