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Palmistry Astrology: हथेली में इंद्र योग बनाता है चतुर राजनीतिज्ञ, इन रेखाओं से जानें खुद का भविष्य

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इंदौर। भारत में ज्योतिष शास्त्र की कई विधाएं प्रचलित हैं, जिसमें हस्तरेखा ज्योतिष का भी विशेष महत्व है। हम सभी ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि हर व्यक्ति के हथेली में अलग-अलग की रेखाएं, चिन्ह, पर्वत और शंख होते हैं। किसी भी व्यक्ति का हथेली में कभी भी रेखाएं व चिन्ह एक समान नहीं होते हैं। हस्तरेखा शास्त्र में यह मान्यता है कि हाथ की रेखाएं व्यक्ति के कर्म के आधार पर निर्मित होती है और उसी के आधार पर व्यक्ति का भविष्यफल निर्धारित होता है। हस्तरेखा ज्योतिष शास्त्र में हथेली में बनने वाले इंद्र योग का भी विशेष महत्व है। डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली ने अपनी किताब ‘वृहद हस्तरेखा शास्त्र’ में इंद्र योग के बारे में विस्तार से वर्णन किया है।

जानें कब बनता है इंद्र योग

डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली के मुताबिक, जिस व्यक्ति के हथेल में मंगल पर्वत स्वाभाविक रूप से विकसित हो और मस्तिष्क रेखा के साथ-साथ भाग्य रेखा भी पूर्ण लंबाई के साथ विकसित होते हुए सीधी और स्पष्ट दिखाई देती है तो उस व्यक्ति के हथेली में इन्द्र योग होता है।

 

चतुर राजनीतिज्ञ और बलिष्ठ बनाता है इंद्रयोग

जिस व्यक्ति की हथेली में इंद्र योग निर्मित होता है, वह व्यक्ति ज्ञानी और सफल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ बलिष्ठ भी होता है। ऐसे व्यक्तियों को समाज में ऊंचा स्थान प्राप्त होता है। इंद्र योग बनने पर व्यक्ति मिलिट्री या पुलिस में उच्च स्थान प्राप्त करता है। ऐसे लोगों में वाक्पटुता का गुण भी होता है और 28 साल की उम्र के बाद इन लोगों भाग्योदय होता है।

राजयोग समान होता है इंद्र योग

हस्तरेखा ज्योतिष में इंद्र योग को राजयोग के समान ही माना गया है। इंद्र योग के साथ एक नकारात्मकता यह है कि ऐसे लोगों की आयु ज्यादा नहीं होती है, लेकिन कम उम्र में ही पूर्ण प्रसिद्धि प्राप्त करके अपना नाम चारों ओर फैला देते हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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