Online fraud: आईडी थेफ्ट और फेक प्रोफाइल से जुड़े मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। आप भी अगर खुद को आईडी थेफ्ट से सेफ रखना चाहते हैं तो पुलिस ने बताया क्या है तरीका। हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट से पता चला है कि मामले 54 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
पिछले साल अगस्त तक फेक प्रोफाइल के 1717 मामले सामने आए थे लेकिन वहीं प्रोफाइल हैकिंग/आईडी थेफ्ट के 1976 मामले रजिस्टर हुए थे। इस साल इसी अवधि के दौरान फेक प्रोफाइल के मामले बढ़कर 2721 पहुंच गए तो वहीं आईडी थेफ्ट/प्रोफाइल हैकिंग के मामले 2959 तक पहुंच चुके हैं। दिल्ली पुलिस डेटा को एक्सेस कर जुटाई है। फर्जी प्रोफाइल मामलों में आरोपी फेक प्रोफाइल बनाते हैं और लोगों को ठगते हैं, इसमें किसी व्यक्ति या फर्म की प्रोफाइल हो सकती है। पुलिस ने बताया कि कई मामलों में देखा गया है कि आरोपी खुद को विदेशी बताते हैं और अलग-अलग वेबसाइट पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर इस्तेमाल करते हैं।इसके बाद फ्रॉड करने वाले खासतौर से महिलाओं को शादी करने का झांसा देकर अपनी बातों में फंसा लेते हैं।
1600 से अधिक कंपनियों के सर्वेक्षण में दावा
दुनिया भर में हर तीन में से कम से कम एक व्यक्ति ने साइबर अटैक में अपना निजी डाटा खो दिया है और उन्हें इस बात की कोई जानकारी भी नहीं है। उद्योग जगत की 1,600 से अधिक कंपनियों के एक सर्वेक्षण में यह दावा किया गया है। साइबर सुरक्षा कंपनी रुब्रिक की ओर से ‘वेकफील्ड रिसर्च’ द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। इस सर्वे में 500 या अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों के आईटी तथा सुरक्षा संबंधी पॉलिसी मेकर्स ने हिस्सा लिया।
रुब्रिक के सीईओ एंड को-फाउंडर विपुल सिन्हा ने बताया कि उद्योग ने हमलों से निपटने पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन अब यह स्वीकार करते हुए साइबर फ्लेक्सिबिलिटी के इर्द-गिर्द यह मानकर एक रणनीति बनाने की जरूरत है कि साइबर हमले होंगे। सिन्हा ने समाचार एजेंसी से कहा, ‘‘दुनिया भर में साइबर उद्योग एक वर्ष में संयुक्त रूप से 200 अरब डॉलर कमा रहा है। रुब्रिक जीरो लैब की हमारी रिपोर्ट के अनुसार, यह निराशाजनक है कि दुनिया भर में तीन में से एक व्यक्ति ने साइबर हमले में अपना व्यक्तिगत डाटा खो दिया है और उन्हें इसकी कोई जानकारी भी नहीं है।’’
कब से कब तक का डाटा?
यह रिपोर्ट इस साल 30 जून से 11 जुलाई के बीच अमेरिका, ब्रिटेन और भारत सहित 10 देशों में किए गए ‘वेकफील्ड रिसर्च’ सर्वेक्षण पर आधारित है। भारत में आईटी से जुड़े 49 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनकी ऑर्गनाइजेशन की डेटा नीति में सुरक्षा का जिक्र तक नहीं है। वहीं, 30 प्रतिशत लोग को लगता है कि अगले 12 महीनों के भीतर उनकी कंपनी का संवेदनशील डाटा चोरी हो सकता है।
साइबर अटैक रोकना मुश्किल
व्यवसायों को साइबर फ्लेक्सिबिलिटी के इर्द-गिर्द एक नई रणनीति बनाने की जरूरत है, जो यह ध्यान में रखकर बनाई जाए कि हमले होंगे ही।हर बिजनेस डाटा एकत्र कर रहा है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत के आईटी से जुड़े 34 प्रतिशत लोग इस बात से सहमत हुए कि डाटा सुरक्षा के जोखिम को प्रबंधित करने की उनकी क्षमता उनके बढ़ते डेटा भंडार के अनुरूप नहीं है। करीब 54 प्रतिशत भारतीय कंपनियों का मानना है कि कृत्रिम मेधा (एआई) अपनाने से संवेदनशील डेटा को सुरक्षित करने की उनकी क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जबकि 24 प्रतिशत ने कोई प्रभाव नहीं पड़ने की संभावना जताई है।
ऐसे बचें
अगर आप भी आईडी थेफ्ट से जुड़े मामलों से खुद को सेफ रखना चाहते हैं तो भूल से भी अपने क्रेडिट कार्ड या फिर डेबिट कार्ड से जुड़ी जानकारी को किसी के साथ भी शेयर न करें। सोशल मीडिया प्रोफाइल पर खुद के बारे में ज्यादा जानकारी शेयर करने से बचें, इसी के साथ अपनी फ्रेंड लिस्ट को भी लॉक करें। पुलिस का कहना है कि पैसे भेजने से पहले सामने वाले व्यक्ति को वेरिफाई कर लें।
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