भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा 136 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। चौथी सूची में पार्टी ने अपने परंपरागत चेहरों पर ही दांव लगाया है। कांग्रेस में अभी प्रत्याशी चयन पर मंथन ही चल रहा है।
कांग्रेस कमेटी ने करवाया सर्वे
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने एक सर्वे और कराया है। इसमें नए चेहरों पर दांव लगाने की बात सामने आई है। इसे ध्यान में रखते हुए पार्टी अब अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है। कांग्रेस अब भाजपा के पुराने चेहरों के सामने नए चेहरे उतारने की तैयारी में है। दरअसल, पार्टी नेताओं का मानना है कि भाजपा ने जिन परंपरागत चेहरों को मैदान में उतारा है, उनके विरुद्ध एंटी इंकमबेंसी है। जनता इनसे ऊब चुकी है। पार्टी कार्यकर्ता भी नए चेहरों को आगे बढ़ाने के पक्षधर हैं।
पहली बार के 50 विधायक
पिछले चुनाव में पार्टियों का नए चेहरों पर दांव लगाने का प्रयोग सफल रहा था। 15वीं विधानसभा में कुल 84 विधायक पहली बार चुनकर आए। इनमें कांग्रेस के विधायकों की संख्या 50 है।
2018 के चुनाव से पहले चार-पांच सर्वे हुए थे
पार्टी ने 2018 के चुनाव से पहले चार-पांच सर्वे कराए थे और उनके निष्कर्षों के आधार पर ग्वालियर में प्रवीण पाठक, सतना में सिद्धार्थ कुशवाहा, छिंदवाडा में सुनील उइके, विजय चौरे, जबलपुर में विनय सक्सेना, छतरपुर में विनय दीक्षित, मुरैना में रवींद्र सिंह तोमर, बैतूल में ब्रह्मा भलावी, शाजापुर के कालापीपल में कुणाल चौधरी जैसे लोगों को प्रत्याशी बनाया था। ये सभी विधानसभा पहुंचे थे।
चौथी सूची में परंपरागत चेहरों पर भरोसा
भाजपा ने जो चौथी सूची जारी की है उसमें परंपरागत चेहरों पर ही भरोसा जताया है। 24 मंत्रियों को फिर चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि यह हमारे लिए शुभ संकेत हैं। भाजपा सरकार और उसके प्रतिनिधियों को लेकर कोरी घोषणा, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि मुद्दों को लेकर जनता में आक्रोश है, जिसका प्रकटीकरण जन आशीर्वाद यात्रा में भी जगह-जगह पर देखने को मिला। जन आक्रोश यात्रा में जो प्रतिसाद मिला, उससे स्पष्ट है कि प्रदेश में सत्ता विरोधी माहौल है। इसका लाभ निश्चित तौर पर पार्टी प्रत्याशियों को मिलेगा। पार्टी में नए लोगों को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया हर स्तर पर चल रही है। प्रत्याशी चयन में भी इस बात का ध्यान रखा जा रहा है।
तीन बार हारने वाले प्रत्याशियों को टिकट नहीं
पार्टी तय कर चुकी है कि लगातार तीन बार हारने वाले प्रत्याशियों को टिकट नहीं दिया जाएगा। टिकट देने का महत्वपूर्ण आधार जातीय और स्थानीय समीकरण होगा। भाजपा के कद्दावर नेताओं को उन्हीं के क्षेत्र में घेरने की कार्ययोजना के अंतर्गत कांग्रेस ने ऐसे लोगों को पार्टी में शामिल किया है, जो उनके क्षेत्र के होने के साथ लंबे समय तक भाजपा संगठन या नेता के साथ काम कर चुके हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों के साथ गोपाल भार्गव, डा.नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल सहित अन्य मंत्री शामिल हैं। संभव है कि भाजपा से आए कुछ नेताओं को पार्टी प्रत्याशी भी घोषित कर किया जाए।
नगरीय निकाय चुनावों में किया था प्रयोग
कांग्रेस ने नगरीय निकाय चुनाव में नए चेहरों को आगे किया था। इसका सुखद परिणाम भी मिला। छिंदवाड़ा, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा में पार्टी के महापौर जीते। इससे कार्यकर्ता उत्साहित हुए और यह विश्वास भी बना कि विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस नए चेहरों को आगे करे तो सफलता मिलेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने संगठन में भी नए लोगों को आगे किया है। बूथ, मंडलम और सेक्टर स्तर पर भी नई टीम तैयार की है। पहली बार ही संगठन मंत्री भी तैनात किए गए हैं।
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