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गायन पर्व में पहले दिन पिता-पुत्र की जोड़ी ने घोली सुरों की मिठास, मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

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भोपाल। भारत भवन में युवा और लब्ध-प्रतिष्ठित गायक कलाकारों की गायन सभाओं पर आधारित तीन दिवसीय ‘गायन पर्व’ का शुभारंभ शुक्रवार शाम को हुआ। इस मौके पर शास्त्रीय संगीत की दो सभाएं सजी। पहली प्रस्तुति में जहां युवा गायक निर्भय सक्सेना ने अपने अलौकिक गायन से उपस्थित दर्शकों को आनंद के सागर में डूबो दिया।वहीं दूसरी सभा में पद्मभूषण पं. गोकुलोत्सव महाराज के सुरीले कंठ से संगीत की सुमधुर वर्षा हुई। इनके साथ पुत्र ब्रजोत्सव महाराज ने भी सुरों की धारा प्रवाहित की। पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने अपने सुरीले संगीत से वातावरण में शास्त्रीयता एवं आध्यात्मकिता के मुधर रंग घोले। उनकी शानदार प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

राग मेघ मल्हार में सुनाया बरखा ऋतु आई…

पं. आचार्य गोकुलोत्सव महाराज एवं उनके पुत्र व्रजोत्सव महाराज ने सर्वांग गायकी के अंतर्गत खंड मेरु एवं राग मेघ मल्हार को प्रस्तुत किया। पहली प्रस्तुति विलंबत लय झूमरा ताल में रही और बोल थे बरखा ऋतु आई…, इसके बाद द्रुत लय एकताल में घन उमड़- उमड़ गरजत… को सुनाया। तत्पश्चात द्रुत लय तीन ताल में गरज घुमड़ घन छाओ बादरवा… की प्रस्तुति देते हुए समां बांध दिया।

तराना और दादरा की दी प्रस्तुति

इससे पहले शास्त्रीय गायन पर आधारित गायन पर्व का शुभारंभ निर्भय सक्सेना की प्रस्तुति के साथ हुआ। उन्होंने अपने गायन के लिए राग भूपाली का चयन किया। सबसे पहले उन्होंने विलंबित लय तथा तिलवाड़ा ताल में जब मैं जानी तिहारी बात… को सुनाया। उसके बाद मध्य लय तीन ताल में जबसे प्रीत लागी… की प्रस्तुति दी। इसी कड़ी में उन्होंने तराना सुनाकर श्रोताओं को आनंदित कर दिया। वहीं अंत में पूरा अंग का ददरा सांवरिया प्यारा मेरी गुइयां… को सुनाकर प्रस्तुति को विराम दिया। इस दौरान तबला पर अजिंक्य गलांदे, हारमोनियम पर जितेंद्र शर्मा और तानपुरा पर तनवर खान ने संगत की।

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