Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
केसरी 2 से अक्षय कुमार बॉक्स ऑफिस पर करेंगे चमत्कार…? चार साल से नहीं दी एक भी ब्लॉकबस्टर मूवी पंजाब किंग्स के खिलाफ KKR ने की चीटिंग? अंपायर ने मैदान पर पकड़ी ये गलती, टेस्ट में 2 खिलाड़ी फेल सीधे 1100 रुपये बढ़ा सोने का दाम! 94000 पार कर रिकॉर्ड हाई पर पहुंची 10 ग्राम की कीमत Instagram-Facebook ही नहीं Snapchat से भी करें कमाई, ये है तरीका अक्षय तृतीया पर सोना ना ला पाएं तो, घर लायें ये 5 सामान, मिलेगा अक्षय धन-धान्य का वरदान! नेतन्याहू के गुस्से से यहूदी भी नहीं बचे, नींद में सो रहे 550 इजराइलियों पर IDF ने गिरा दिया बम गर्मियों में इस तरह लगाएं मुल्तानी, चेहरा बनेगा सॉफ्ट और शाइनी इंदौर में मिली राहुल की लाश… दुल्हन ही निकली कातिल, 36 बार चाकू से किया हमला, फिर बॉयफ्रेंड को फोन क... पुलिस कमिश्नर के तबादले पर विधायक के घर जश्न, ढोल की थाप पर थिरके समर्थक कबाड़ी वालों से एक रुपये किलो के हिसाब से वसूलते थे रंगदारी, नोएडा के गैंग की कहानी

6 सितंबर को मनाई जाएगी भाद्रपद माह की कालाष्टमी, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

22

हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस बार भाद्रपद की कालाष्टमी 6 सितंबर को मनाई जाने वाली है। कालाष्टमी पर्व महादेव को समर्पित होता है। कालाष्टमी के दिन रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। इस दिन तंत्र मंत्र सिद्धि प्राप्त साधक निशा काल में काल भैरव की पूजा करते हैं। यह दिन काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए विशेष माना जाता है। मान्यता है कि कालाष्टमी पर भगवान शिव की पूजा करने से सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए, जानें कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी, जो कि 7 सितंबर को संध्याकाल में 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं, काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। इस प्रकार 6 सितंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी।

कालाष्टमी पूजा विधि

भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा निशा काल में ही की जाती है। इस दिन प्रातः काल में स्नान-ध्यान के बाद ही पूजा करें। ब्रह्म बेला में उठकर, दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके पश्चात, षोडशोपचार कर काल भैरव की पूजा करें। इस समय शिव चालीसा, शिव स्त्रोत पाठ और मंत्र जाप करें। पूजा के आखिर में काल भैरव से अपनी कामना कहें। विशेष कार्यों की सिद्धि के लिए व्रत भी रख सकते हैं। इसके बाद निशा काल में पुनः विधि-विधान से भैरव देव की पूजा करें।

 इन चीजों के बिना अधूरी मानी जाती है जन्माष्टमी पूजा, नोट कर लें पूजा की जरूरी सामग्री

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.