जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने पशुपालन विभाग के अधिकारी को अपनी जेबे से 14 वर्ष का ब्याज भुगतान करने का सख्त आदेश पारित किया है। इस आदेश के परिपालन के लिए 30 दिन की मोहलत दी हैै।
असिस्टेंट वेटरनरी फील्ड आफिसर पद था
याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी चमनलाल दोहरे की ओर से अधिवक्ता अच्युत गोविंदम तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता पशुपालन विभाग से असिस्टेंट वेटरनरी फील्ड आफिसर पद से सेवानिवृत्त हो चुका है। याचिकाकर्ता वेतन निर्धारण के आधार पर अप्रैल, 2009 से दिसंबर, 2013 तक के बकाया वेतन का हकदार है। इस सिलसिले में अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के बाद विभागीय अधिकारियों ने बकाया भुगतान के बिंदु को तो स्वीकार कर लिया किंतु मनमाने ढ़ंग से बकाया भुगतान सुनिश्चित करने की दिशा में कृत्रिम बधाएं उत्पन्न करते रहे।
गलत तरीके से भुगतान हुई राशि
याचिकाकर्ता को पूर्व में गलत तरीके से भुगतान हुई राशि वापस करने के आधार पर ही द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ देय होने से मनमाने तर्क दिए जाते रहे। इससे वह हलकान हो गया। यहां तक कि दायर याचिका के सिलसिले में विभाग की ओर से प्रस्तुत जवाब में कहा गया कि प्राधिकारी ने याचिकाकर्ता के पक्ष में संशोधित पीपीओ और ग्रेच्युटी राशि जारी की, लेकिन विभागीय अधिकारी ने बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया। ऐसा इसलिए क्योंकि याचिकाकर्ता के खाते में 43,432 रुपये की राशि गलत तरीके से जमा हो गई थी। गलती से जो वास्तव में डा. शुभ्रा ब्यौहार को भुगतान किया जाना है।
…वेतन निर्धारण के बकाया का भुगतान कर देंगे
दलील दी गई है कि जैसे ही याचिकाकर्ता को गलती से भुगतान की गई यह राशि वापस कर दी जाएगी, वे वेतन निर्धारण के बकाया का भुगतान कर देंगे। प्रथमदृष्टृया यह उत्तर गूढ़ और मनमाना प्रतीत होता है। डा. शुभ्रा ब्योहर के स्थान पर याचिकाकर्ता के खाते में पहले से भुगतान की गई राशि को छोड़कर शेष राशि का भुगतान कर सकते थे। इस सबके चलते याचिकाकर्ता को मिलने वाल राशि के साथ ब्याज भी जुड़ता चला गया। हाई कोर्ट ने मामला समझने के बाद पशुपालन विभाग के संबंधित अधिकारी को फटकार लगाई। साथ ही जेब से ब्याज भुगतान के निर्देश दे दिए।
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