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किस दिशा में करें भोजन, खड़े होकर करें या बैठकर, जानें क्या कहते हैं शास्त्र

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इंदौर। हमारे शास्त्रों में भोजन को लेकर भी कुछ बातें बताई गईं हैं, जिनका पालन करने से घर में खुशियां आती हैं। शास्त्रों में बताई गई बातों सबसे प्रमुख भोजन मंत्र करना, खाने से पहले हाथ धोना, नहाकर ही खाना है। इसके अलावा सही मुद्रा में भोजन करना, खड़े होकर या बैठकर भोजन करना ये भी सबसे अहम है।

हमेशा से हमारे बुजुर्ग हमें जमीन बैठकर खाने की सलाह देते रहे हैं। जल्दबाजी में खड़े होकर खाना खाने से बचने के लिए कहते रहे हैं। ऐसे में खड़े होकर खाना खाने से क्या होता है। इस बारे में शास्त्रों में लिखा हुआ है। ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से ने विस्तार से इसके बारे में बताया है।

भोजन को जमीन पर बैठकर खाने के लिए कहा गया है, क्यों कि इससे आप पृथ्वी के संपर्क में आते हैं। पृथ्वी से निकलने वाली तरंगें आपके शरीर में सीधे प्रवेश करती हैं। यह तरंगें आपके भोजन को पचाने में मदद करती हैं और ऊर्जा को प्रदान करती हैं, इसलिए जमीन पर बैठकर भोजन करना सबसे अच्छा माना गया है।

खड़े होकर ना खाएं खाना

हमारे साथ कई बार ऐसा होता है कि हम जल्दबाजी में खड़े होकर भोजन करते हैं। शास्त्रों में इसे गलत बताया है, क्यों कि इससे आपके शरीर को ऊर्जा नहीं मिलती है। आपके भोजन को पचने में भी दिक्कत होती है, जिससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। विज्ञान में भी इसे गलत ही बताया गया है, क्यों कि आपके शरीर को पूरा पोषण नहीं मिलता है। पाचन ठीक न होने की वजह से सूजन जैसी समस्याओं की भी परेशानी हो सकती है।

दशिण दिशा में नहीं होना चाहिए मुख

शास्त्रों में तो भोजन करते समय आपका मुख कौन सी दिशा में होनी चाहिए इस पर भी जोर दिया गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि भोजन करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए। यह दिशा यम की दिशा होती है। आप जब भोजन करें तब हमेशा आपका मुख पूर्व या पश्चिम की तरफ ही होना चाहिए। यह आपकी पाचन शक्ति को मजबूत करता है। आपके शरीर को पूरा पोषण भी मिलेगा।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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