जबलपुर। मदन महल से दमोह नाका के बीच बन रहे फ्लाईओवर के निर्माणाधीन हिस्से के निचले भाग को हरा भरा बनाया जा रहा है। निर्माण एजेंसी ने कई तरह के पौधे लगाए हैं। जो पौधे लगाए हैं वे बिना किसी योजना के रोप दिए गए हैं, ऐसे में बाद में पौधे ऊंचाई बढ़ने पर फ्लाईओवर के लिए मुसीबत बन सकते हैं।
इधर पौधे रोपने के बाद उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कई जगह ताे धूप-बारिश से बचने के लिए जानवर फ्लाईओवर के नीचे बैठ रहे हैं जिससे पौधे नष्ट हो रहे हैं। पर्यावरणविद् भी मानते हैं कि गलत पौधे रोपने से आगे चलकर समस्या होगा या फिर पौधों को काटना होगा।
कम ऊंचाई वाले पौधे लगाने चाहिए
रानीताल से बल्देबाग के बीच तीन से पांच फीट ऊंचाई वाले फिश ट्रेल्ड पाम, फाक्सटेल्ड पाम, मिर्ची मैरी पाम, टेकोमा प्लांट लगाया है। पर्यावरणविद् प्रो.आर के श्रीवास्तव ने बताया कि पौधे के लिए जरूरी दूरी होना आवश्यक है लेकिन ऐसा नहीं हुआ है बेहद करीब-करीब पौधे लगाए हैं। इसके अलावा इनकी ऊंचाई बहुत अधिक होती है जिस वजह से फ्लाईओवर की छत पर जाकर पौधा टकराएगा।
उन्होने कहा कि फ्लाईओवर के नीचे कम ऊंचाई वाले पौधे लगाने चाहिए ताकि इससे किसी तरह का नुकसान न हो। बता दे कि फ्लाईओवर के नीचे किसी तरह की बाधा भी नहीं होने से जानवर इन जगहों पर घुसकर आरामगाह की तरह उपयोग कर रहे हैं।
ड्रेनेज सिस्टम नहीं कर रहा काम
फ्लाईओवर के निर्माण में पानी की निकासी के लिए ड्रेनेज सिस्टम बनाया गया है लेकिन ये सफलतापूर्वक काम नहीं कर रहा है। बारिश के दौरान पानी की निकासी जगह-जगह बनी पाइप के माध्यम से निकलना चाहिए जबकि पानी फ्लाईओवर की छत से नीचे गिरता है, जिस वजह से सर्विस लेन पर चलने वाले वाहन चालक बारिश के पानी से भीग जाते हैं।
इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के ईई रामानुज विश्वकर्मा ने कहा कि पौधों को विशेषज्ञों की सलाह पर ही रोपा गया है फिर भी जो पौधे अधिक ऊंचाई वाले हैं उन्हें हटाकर नई किस्म के पौधे लगाए जाएंगे।
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