इंदौर। जो व्यक्ति सही समय पर, सही विकल्प चुन लेता है और उस विकल्प को अपने परिश्रम, सूझबूझ और विवेक से साध लेता है, वह एक प्रभावशाली लीडर बन जाता है। हमें लीडर होने की सही परिभाषा को समझना चाहिए। कई बार हम ऐसी स्थिति में होते हैं कि अगर हमने सच बोल दिया, तो किसी की जान को खतरा तक हो सकता है। ऐसे समय में झूठ बोलकर किसी की जान बचाना भी प्रभावशाली लीडर के गुण होते हैं। लीडरशिप के लिए व्यक्ति को अपनी बाडी लैग्वेंज का काफी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जितना आप बोलते हैं, उतना ही आपकी देह भी बोलती है।
ये बातें इफैक्टिव लीडरशिप इन अमृतकाल विषय पर हुए आयोजन में आइआइएम के निदेशक डा. हिमांशु राय ने कहीं। इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन (आइएमए) ने शनिवार को एक निजी होटल में इफैक्टिव लीडरशिप इन अमृतकाल विषय पर चर्चा सत्र का आयोजन किया। इसमें एक निजी कंपनी के सीओओ आरएस सचदेवा और आइआइएम निदेशक डा. हिमांशु राय मुख्य वक्ता थे। कार्यक्रम में बिजनेस, नौकरी समेत अन्य महत्वपूर्ण पेशों से जुड़े लोग शामिल रहे।
ये पांच गुण बनाते हैं श्रेष्ठ लीडर
आरएस सचदेवा ने बताया कि एक लीडर को हमेशा अपना विजन क्लीयर रखना चाहिए। विजन तय होने पर कार्य करना और करवाना, दोनों आसान हो जाते हैं। एक प्रभावशाली लीडर बनने के लिए पांच गुण होने जरूरी है। पहला विजन, दूसरा इनोवेशन, तीसरा इनर वैल्यू, चौथा प्रोत्साहन और पांचवां कम्युनिकेशन। एक नेतृत्वकर्ता में ये सारे गुण होने ही चाहिए। यदि इनमें से कोई गुण कम है, तो समझिए कि लीडरशिप कमजोर है।
प्रभावशाली नेतृत्व का कोई शार्टकट नहीं
आइआइएम निदेशक डा. राय ने बताया कि प्रभावशाली लीडरशिप सीखने का कोई शार्टकट नहीं होता। यह गुण तो सदैव अभ्यास करते रहने से ही आता है। क्रोध आना स्वाभाविक है, लेकिन अगर हम किसी से लगातार नाराज बने रहते हैं, तो यह हमारी इच्छा व आदत बन जाती है। एक प्रभावशाली लीडर को अच्छा वक्ता बनने से पहले अच्छा श्रोता होना चाहिए, ताकि वह अपनी टीम के तर्कों को ठीक से समझकर उनकी समस्या का कोई युक्तियुक्त हल दे सके। एक लीडर को निजी एजेंडा पहले नहीं रखना चाहिए। पहले अपनी संस्था की भलाई की बात करना चाहिए। नौकरशाह जब विदेश जाते हैं, तो पहले वे देश का एजेंडा, फिर नेताओं का एजेंडा रखते हैं, इसके बाद अंत में खुद का एजेंडा रखते हैं।
बने-बनाए नियमों पर न चलें
डा. राय ने भेड़चाल के बारे में बात करते हुए कहा कि प्रभावशाली लीडर को केवल बने-बनाए नियमों पर ही नहीं चलना चाहिए। किसी भी नियम को पहले परखें। यदि नियम समय के साथ संस्था के हित में नहीं है, तो उस नियम का बहिष्कार करना चाहिए। डा. राय ने यह भी समझाया कि नेटवर्किंग बुरा शब्द नहीं है। ज्यादातर लोग इसे नेटवर्क मार्केटिंग समझकर अनदेखा करने लगते हैं। जबकि एक प्रभावशाली लीडर को नेटवर्किंग जरूर करनी चाहिए। लोगों के बीच जाकर लोगों को बताना चाहिए कि हम क्या नया कर रहे हैं। हम कैसे कोई प्रोडक्ट बनाकर उनकी मदद कर पाएंगे।
आक्रोश के कारण का हल भी करें
डा. राय ने ये टिप्स भी दिए कि हममें से अधिकांश लोग बुखार आने पर घर में ही रखी हुई पैरासिटामाल या डोलो टैबलेट खा लेते हैं। इससे बुखार कुछ क्षण के लिए तो चला जाता है, लेकिन फिर आ जाता है। किंतु यदि हम डाक्टर के पास जाकर दवाई लेंगे, तो वह यह दवाई के साथ एंटीबायोटिक देगा, ताकि बुखार दोबार न आए। यही हाल हमारे गुस्से का होता है। अगर हम गुस्सा होकर शांत हो जाएं तो जाहिर है कि गुस्सा फिर आएगा। एक अच्छा लीडर होने के नाते गुस्से की वजह पता करें और उस वजह को हमेशा के लिए समाप्त करें, तब आपको दोबारा उस विषय पर गुस्सा नहीं आएगा।
अपने विजन से ही आगे बढ़ा है इंदौर
एक निजी कंपनी के सीओओ आरएस सचदेवा ने बताया कि लीडर में सबसे बड़ा गुण विजन का होता है। 1994 में मैं चंडीगढ़ से इंदौर आया था। तब इंदौर चंडीगढ़ की तुलना में एक गांव जैसा था। किंतु अपने श्रेष्ठ विजन के चलते इंदौर आज मध्य प्रदेश का सबसे समृद्ध शहर बन गया है। शहर की सफाई की प्रशंसा करते हुए सचदेवा ने बताया कि इंदौर के हर व्यक्ति में मुझे तब एक लीडर दिखता है, जब वह कुछ खाने के बाद कूड़ा सड़क पर नहीं डालता। वह कूड़े को बैग में रखकर कूड़ेदान दिखने का इंतजार करता है और उसी में कचरा फेंकता है।
जजमेंटल होना लीडर को कमजोर करता है
अगर इंसान को प्रभावशाली लीडर बनना है, तो उसे जज बनना चाहिए न कि अपना दृष्टिकोण जजमेंटल की तरह रखना चाहिए। प्रभावशाली लीडर सख्त नहीं भावुक होता है, ताकि वह अपनी टीम की हर समस्या को स्वयं पर महसूस कर सके। जजमेंटल होने से वह अपनी टीम के सामने कमजोर प्रतीत होने लगता है।
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