जीएसटी में सुधार स्वागत योग्य, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के जरिए समृद्ध हो सकता है भारतः स्वदेशी जागरण मंच
केंद्र सरकार की ओर से किए गए गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में व्यापक बदलाव की हर ओर तारीफ हो रही है. इस सुधार को भारत की ‘स्वदेशी’ और ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है. स्वदेशी जागरण मंच ने भी इस सुधार का स्वागत किया है. मंच कहता है कि ये सुधार जरूरी थे क्योंकि विकसित देशों में संरक्षणवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में भारत को अपने शत्रुओं को किसी तरह का वित्तीय लाभ नहीं देना चाहिए. साथ ही मंच का मानना है कि भारत केवल स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के आधार पर ही समृद्ध हो सकता है.
साल 1991 से ही स्वदेशी जागरण मंच देश में लगातार स्वदेशी अपनाने की चेतना जगा रहा है. मंच का मानना है कि भारत केवल स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के आधार पर ही समृद्ध हो सकता है. मंच का कहना है कि वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं की स्थिति में, जब सप्लाई चैन, भुगतान प्रणालियों और मुद्राओं को हथियार बनाया जा रहा है. अमेरिका और कई अन्य देश शुल्क रूपी दीवारें और गैर-शुल्कीय कई तरह की बाधाएं खड़ी कर रहे हैं, इसी तरह जब चीन जैसे देश हमारे विनिर्माण को खत्म करने के लिए डंपिंग कर रहे हैं, तब ये जीएसटी सुधार हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक अहम साधन की तरह है.
जीएसटी कम होने से विदेशी मुद्रा बचेगी
जीएसटी की दरों को कम किए जाने को देश के लिए फायदेमंद बताते हुए स्वदेशी जागरण मंच ने कहा, आवश्यक वस्तुओं और स्थानीय उत्पादों पर कम जीएसटी के होने से मूल्यवान विदेशी मुद्रा बचेगी और साथ ही विकेन्द्रित विकास मॉडल के ज़रिए रोजगार, आजीविका और जनकल्याण की भावना भी बढ़ेगी.
वृहद आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो स्वदेशी शोध संस्थान का यह भी मानना है कि ये सुधार देश की विकास यात्रा में संरचनात्मक बदलाव का संकेत हैं. परिवारों और एमएसएमई पर कर का बोझ कम होने से उनकी क्रय शक्ति और उपभोग मांग बढ़ेगी, जिससे जीडीपी पर खासा प्रभाव पड़ेगा. आंकड़े यह भी बताते हैं कि घरेलू उपभोग में 1 फीसदी की वृद्धि, जीडीपी विकास में करीब 0.3 फीसदी अंकों की बढ़ोतरी होती है.
एमएसएमई क्षेत्र, जो जीडीपी में करीब 30% योगदान करता है और 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है. इस तरह से कर में सरलीकरण करते हुए उत्पादन में विस्तार किया जा सकता है जिससे लाखों रोजगार के नए अवसर उत्पन्न कर सकता है. कृषि क्षेत्र, जिसमें 43% से अधिक कार्यबल (पीएलएफएस 202324) कार्यरत है, कृषि-इनपुट्स और खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी पर कम कर दरों से लाभान्वित होगा, जिससे उत्पादकता और ग्रामीण अंचल में आय में वृद्धि होगी.
स्वदेशी जागरण मंच यह मानता है कि जीएसटी सुधारों से बाहरी क्षेत्र को भी लाभ होगा. 202324 के वित्त वर्ष में भारत का माल निर्यात 437 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, हालांकि वस्त्र, चमड़ा और खाद्य उत्पाद जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र मुकाबले में प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ते रहे. अब जीएसटी में किए गए तर्कसंगत सुधार से लागत दबाव घटेगा, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और मध्यम अवधि में निर्यात में 57% अतिरिक्त वृद्धि संभव हो सकेगी. इससे चीन से होने वाले करीब 100 अरब अमेरिकी डॉलर के खतरनाक व्यापार घाटे को भी कम करने में मदद मिलेगी.
स्वदेशी का दर्शन अलगाववादी नहींः मंच
हाल में किए गए जीएसटी सुधार उसी स्वदेशी मॉडल को आगे बढ़ाते हैं जहां समृद्धि का आधार राष्ट्रीय हित और जनकल्याण है, न कि विदेशी एकाधिकारों पर निर्भरता. मंच कहता है कि ऐसे समय में जब अमेरिका स्टील, एल्युमीनियम, ईवी और सोलर पैनलों पर 50% तक टैरिफ लगाकर भारत के 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक निर्यात को खतरे में डाल रहा है, तब भारत में किए गए जीएसटी सुधार स्वदेशी विकल्प प्रस्तुत करते हैं. अब भारत ने बाहरी दीवारें खड़ी करने की जगह घरेलू बोझ को घटा दिया है, खासतौर से किसानों और एमएसएमई को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की शक्ति दी है.
राज्य स्तर पर देख जाए तो तमिलनाडु का वस्त्र उद्योग (6 अरब डॉलर), उत्तर प्रदेश का चमड़ा उद्योग (3.5 अरब डॉलर), महाराष्ट्र और गुजरात का ऑटो-कंपोनेंट्स व खाद्य प्रसंस्करण, तथा पंजाब-हरियाणा का कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र जीएसटी सुधारों से सीधा लाभान्वित होगा.
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक आर. सुंदरम की ओर से जारी बयान में कहा गया कि वैश्विक परिस्थितियां ऐसे सुधारों की आवश्यकता को और स्पष्ट करती हैं, क्योंकि विकसित देशों में संरक्षणवाद बढ़ रहा है. चीन अपने व्यापारिक लाभ का दुरुपयोग कर भारत को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है. मंच का कहना है कि भारत को अपने शत्रुओं को किसी तरह का वित्तीय लाभ नहीं देना चाहिए, जबकि हमारे सैनिक सीमा पर संघर्ष कर रहे हैं. घरेलू विनिर्माण को सशक्त कर ये सुधार हमें ऐसे बाहरी दबावों का सामना करने की क्षमता प्रदान करती है.
मंच के अनुसार, स्वदेशी का दर्शन अलगाववादी नहीं है, बल्कि यह तय करती है कि हमारी आर्थिक नीतियां, व्यापारिक निर्णय और उपभोक्ता विकल्प राष्ट्रहित के अनुरूप हों. भारतीयों का हर रुपया देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करे, न कि विदेशी एकाधिकारों या विरोधियों को.
क्या है भारत की असली ताकत
भारत की असली ताकत उसके लोग, उसके संसाधन और उसकी उद्यमशीलता है. नीति-प्राथमिकता और जन-जागरूकता ही हमारी प्रमुख कुंजी हैं. अब जब जीएसटी सुधार घर-घर और छोटे कारोबारियों को राहत दे रहे हैं, तो हर सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे अपने जीवन में स्वदेशी को अपनाए, भारतीय उत्पादों का चुनाव करें, स्थानीय उद्यमों को समर्थन दें और विदेशी आयातों के प्रलोभन को अस्वीकार करें.
जीएसटी सुधारों की तारीफ करने वाला स्वदेशी जागरण मंच देश के सभी नागरिकों से यह आह्वान भी करता है कि वे स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान से जुड़ें, ताकि हम सब मिलकर भारत को वास्तव में महान, आत्मनिर्भर और हर वैश्विक चुनौती का सामना करने में सक्षम बना सकें. मंच पीएम मोदी को क्रांतिकारी जीएसटी सुधार के लिए धन्यवाद देता है, जिसने करोड़ों भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने और हमारे देश को और अधिक सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है.
आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत करेगा
स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि मंच पीएम नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में केंद्र सरकार की ओर से घोषित साहसिक जीएसटी सुधारों का स्वागत करता है, इसके जरिए 15 अगस्त को लाल किले से दिए गए स्वदेशी अपनाने और देश को सशक्त बनाने के आह्वान को ठोस रूप प्रदान किया है. जीएसटी दरों में की गई कमी और उनका सरलीकरण महज राजकोषीय कदम नहीं, बल्कि स्वदेशी-उन्मुख सुधार भी है. इस बदलाव से घरेलू उद्योग प्रोत्साहित होगा, एमएसएमई सशक्त होगा. साथ ही व्यापारियों और कारीगरों को सहयोग देगा. इसके अलावा मेक इन भारत और आत्मनिर्भर भारत की नींव को और मजबूत बनाएगा.
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