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भारत से प्यार है, यह मेरे दूसरे घर जैसा है… गृहमंत्री से परमिट बढ़ाने की गुहार लगाकर बोलीं तस्लीमा नसरीन

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बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाई कि उन्हें भारत में रहने दिया जाए. दरअसल, मामला यह है कि उनका रेजिडेंस परमिट खत्म हो रहा है और इसी को बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने सोशल मीडिया एक्स पर गुहार लगाई है.

लेखिका ने भारत को अपना दूसरा घर बताते हुए कहा, मैं यहां 22 साल से रह रही हूं, पर गृह मंत्रालय मेरा परमिट 22 जुलाई से बढ़ा नहीं रहा है. इसको लेकर मैं चिंता में हूं. अगर आप इसे बढ़ा देंगे, तो मैं आपकी आभारी रहूंगी.

स्वीडन की नागरिकता रखने वाली नसरीन कई मौकों पर इस्लाम के कट्टर स्वरूप की आलोचना कर चुकी हैं. वह धर्म में सुधार की मांग भी करती हैं.जिसकी वजह से अक्सर वह कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती हैं. उनकी पहचान एक नारीवादी के रूप में भी है. अपनी उपन्यास लज्जा को लेकर भी वह चर्चा में रही थीं.

फतवा के कारण देश छोड़ा

बांग्लादेश की लेखिका को 90 के दशक में कट्टरपंथियों की धमकी के बाद देश छोड़ना पड़ा थ. उन पर इस्लाम के खिलाफ लिखने का आरोप लगा था. 1994 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया गया, जिसके बाद उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. निर्वासन के दौरान वह अमेरिका और यूरोप में भी रहीं हैं, उसके बाद वे भारत में ही रह रही हैं. वर्ष 1998 में वह कुछ दिनों के लिए वापस बांग्लादेश गईं लेकिन शेख हसीना की सरकार ने उन्हें वहां रहने नहीं दिया.

जुलाई में खत्म हो गया है परमिट

बांग्लादेशी लेखिका का रेजिडेंस परमिट 27 जुलाई को खत्म हो गया है, जिसे भारत सरकार ने अभी तक रिन्यू नहीं किया है. लेखिका ने कहा कि भारत में रहना उन्हें अच्छा लगता है, क्योंकि यहां की और बांग्लादेश की संस्कृति और परिवेश एक जैसे हैं, इसलिए मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं अपने घर से बाहर रह रही हूं.

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