राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने अर्धनग्न वाले विवादित बयान पर सफाई देते हुए यू-टर्न लिया. शिक्षा मंत्री ने कहा, “मैंने सिर्फ अर्धनग्न शब्द को परिभाषित किया, अर्धनग्न नहीं बोला.” उन्होंने कहा कि उनके बयान को सोशल मीडिया पर तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. अपने बयान की सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल यह कहा था कि कुछ शिक्षक कम कपड़े पहनकर स्कूल जाते हैं, जिससे बच्चों पर बुरा असर पड़ता है. उन्होंने कहा स्कूल में बच्चे टीचर्स के साथ करीब सात से आठ घंटे बिताते हैं, इसलिए टीचर्स को बच्चों के सामने अपना आदर्श रूप प्रस्तुत करना चाहिए, ताकि वे अच्छे संस्कार सीख सकें.
दिलावर ने कहा कि कुछ शिक्षक देर से आते हैं, और जब कोई बच्चा उन्हें टोकता है, तो वे कहते हैं कि वे सही समय पर आए हैं. लेकिन बच्चे सब कुछ समझते हैं, और टीचर्स के झूठ बोलने से बच्चे भी समझते हैं कि झूठ बोलना सही है, जिससे वे झूठ बोलने लगते हैं.
क्या था बयान?
दरअसल, शिक्षा मंत्री ने एक सम्मेलन में स्कूल टीचर्स के पहनावे को लेकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था, “कई शिक्षक-शिक्षिकाएं पूरा शरीर दिखाकर स्कूल जाते हैं. इससे बच्चों और बच्चियों पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता. इन लोगों को सोचना चाहिए कि मैं शिक्षक/शिक्षिका हूं, और हमें कैसा पहनावा पहनना चाहिए, और क्या खाना चाहिए.” दिलावर ने टीचर्स को सही ड्रेस पहनने की हिदायत दी थी. उन्होंने कहा स्कूल शिक्षा का मंदिर है. इस मंदिर में कपड़ों का ध्यान रखना अति आवश्यक है. टीचर स्कूल में ऐसे कपड़े पहनकर जाए, जिससे बच्चों को ठीक लगता हो, बच्चों को कुसंस्कार न मिले.
होनहार बच्चों के दुश्मन हैं ऐसे टीचर्स
शिक्षा मंत्री बुधवार को नीमकाथाना के नृसिंहपुरी गांव में उच्च प्राथमिक संस्कृत स्कूल भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचे थे. जहां उन्होंने शिक्षकों से कहा, “हमारा आचरण ऐसा होना चाहिए कि बिना कुछ कहे भी बच्चे हमसे संस्कार सीख सकें. “मैंने कई टीचर्स को देखा है जो गुटखा खाकर स्कूल आते हैं, और कुछ तो शराब पीकर भी आते हैं. जो शिक्षक इस तरह का कृत्य करता है, वह शिक्षक नहीं, बल्कि होनहार बच्चों का दुश्मन है, ऐसे लोगों को शिक्षक कहना पाप है.”
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