आजकल युवा 8 हजार रुपये महीने की नौकरी के लिए जद्दोजहद करता दिख रहा है. वहीं, एक गैंग ऐसा है जो नाबालिग को 80 हजार रुपये महीना की नौकरी दे रहा था. गैंग में नौकरी करने वालों का काम था भीड़ में जाकर लोगों का मोबाइल चोरी करना. उनको रोजाना दो मोबाइल चोरी करने का टारगेट दिया जाता था. चोरी किए मोबाइलों को देश से बाहर बांग्लादेश भेजा जाता था.
अब यह गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा है. पुलिस ने इस गिरोह का भंडाफोड़ किया है. झारखंड की राजधानी रांची की रातू पुलिस ने मोबाइल चोर गैंग के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इनमें दो चोर नाबालिग हैं, इन्हें बाल सुधार गृह भेजा गया है. पुलिस ने शातिर आरोपियों के पास से चोरी के 79 मोबाइल बरामद किए हैं. गैंग का आठवां सदस्य भागने में सफल हो गया. पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई है.
चोरी के लिए मिलते थे 80 हजार रुपये
पुलिस के मुताबिक, 18 जून को रातू में संडे मार्केट लगा हुआ था, जिसमें भीड़ अधिक थी. इसी बीच लोगों ने नाबालिग को मोबाइल चोरी करते हुए दबोच लिया. लोगों ने पुलिस को जानकरी देकर उसे उनके सुपुर्द कर दिया. पुलिस ने उससे पूछताछ की जिसे सुनकर पुलिस हैरत में पड़ गई. नाबालिग चोर ने पुलिस को बताया कि वह एक गैंग में मोबाइल चोरी की नौकरी करता है. उसे इस काम के लिए 80 हजार रुपये महीना मिलते हैं. उसे डेली 2 मोबाइल चोरी करने का टारगेट दिया जाता है.
गैंग के ठिकाने पर पुलिस का छापा
पुलिस की एक टीम ने नाबालिग चोर से गैंग के बारे में जानकरी इकट्ठा कर उनके ठिकाने पर छापा मारा. मोबाइल चोर गैंग रातू थाना क्षेत्र के कमड़े सूर्यनगर निवासी बिट्टू चौधरी के घर किराए में रहते हैं. पुलिस ने वहां से 6 चोरों को धर दबोचा, जिसमें एक नाबालिग भी शामिल है. इनमें एक चोर भागने में कामयाब हो गया. पकड़े गए सारे चोर साहिबगंज जिले के तीनपहाड़ के रहने वाले हैं और एक ही परिवार से आते हैं.
बांग्लादेश भेजे जाते थे चोरी के मोबाइल
पुलिस ने मोबाइल चोरे गैंग के जितेन्द्र नोनिया, पुसवा नोनिया, लड्डू नोनिया, अर्जुन नोनिया और मिथुन को जेल भेजा है. वहीं 2 नाबालिग चोर बाल सुधार गृह में भेजे गए हैं. पुलिस ने बताया कि यह शातिर गैंग भीड़-भाड़ वाले इलाकों से मोबाइल चोरी किया करते थे. यह आपस में मिलकर चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया करते थे. यह मोबाइल को चोरी कर अपने दूसरे साथी को तुरंत पास कर दिया करते थे. चोरों ने पुलिस को बताया कि वह चोरी किए मोबाइलों को बांग्लादेश भेजा करते थे.
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