धनंजय सिंह…एक ऐसा नाम, जिसकी जौनपुर में आज भी तूती बोलती है. जलवा ऐसा कि 2009 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता भी. सड़क पर निकलता तो पीछे सैकड़ों गाड़ियों का काफिला होता. उत्तर प्रदेश के लोग धनंजय सिंह को एक बाहुबली नेता के तौर पर देखते हैं. अब इस बाहुबली को जेल की सजा काटनी पड़ेगी. कोर्ट ने अपहरण और रंगदारी केस में दोषी करार दिया है. इस बीच, इस पूरे केस में एक नाम की चर्चा खूब हो रही है, वह नाम है अभिनव सिंघल. इसी शख्स के मजबूत इरादों ने धनंजय को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया है. आइए जानते हैं कौन हैं अभिनव सिंघल?
उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर एक शहर है. इसी शहर के अभिनव सिंघल रहने वाले हैं. तेवर से सख्त और खुशमिजाज अभिनव बचपन से ही पढ़ने में तेज थे. गणित और विज्ञान की रुचि इस कदर थी कि उन्होंने बड़े होकर पेशा भी इंजीनियरिंग ही चुना. वह नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जुड़े.
जब मिलने लगीं धमकियां…
नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद अभिनव सिंघल को पता चला कि प्रोजेक्ट के अंदर भारी धांधली हो रही है. उन्होंने अपने तेवर सख्त किए. पहले उन्हें कई तरह के प्रलोभन दिए गए. लेकिन अभिनव ईमानदारी से काम करते रहे. फिर धमकियां मिलने लगीं. जो लोग धमकियां दे रहे थे, उनमें से एक नाम बाहुबली धनंजय सिंह का भी था. हालांकि, अभिनव बिना डरे अपना काम करते रहे.
4 साल पहले की क्या है कहानी?
बात लगभग 4 साल पुरानी है. 10 मई 2020 को अभिनव ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई. इस शिकायत से यूपी की राजनीति गरमा गई. इस शिकायत में धनंजय सिंह पर संगीन आरोप लगाए गए थे. अभिनव ने पुलिस को बताया कि धनंजय अपने साथी विक्रम औन अन्य दो लोगों के साथ पचहटिया स्थित साइट पर पहुंचे. यहां से धनंजय ने उसका किडनैप कर लिया.
तब अभिनव ने कहा था…
अभिनव के मुताबिक, आरोपियों ने उनका अपहरण फॉर्च्यूनर गाड़ी में किया. अपहरण कर धनंजय उसे अपने आवास ले गया. इसके बाद उन्हें पिस्टल दिखाकर धमकी दी गई. गंदी-गंदी गालियां दी गईं. दरअसल, आऱोपी चाहते थे कि अभिनव कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति के लिए मंजूरी दे दे. जब उन्होंने इनकार किया तो जान से मारने की धमकी भी दी गई.
यहां से जैसे-तैसे बचकर अभिनव भाग निकले और सीधे लेकर लाइन बाजार थाने पहुंचे. अभिनव ने पुलिस से आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. नतीजा यह रहा कि पुलिस ने धनंजय को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन कोर्ट में पेश किया, जहां से न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही थी
हालांकि, धनंजय ने कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद धनंजय ने हाई कोर्ट का रूख किया, जहां से जमानत मिली. तब धनंजय ने आरोप लगाया था कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है. सुनवाई एमपी एमएलए कोर्ट में चल रही थी, जहां कोर्ट ने धनंजय और उनके साथ संतोष विक्रम को दोषी करार दिया. पुलिस ने दोनों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया.
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