दिवाली का पर्व शुरू हो चुका है। अब देश भर में हर जगह रोशनी और खुशियाँ बिखरी हुई नजर आएंगी। देश का कोना-कोना जगमया हुआ है और इसी बीच यूपी सरकार, इस बार भी दिवाली पर अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारी कर रही है। इस बार की दिवाली अयोध्या की अब तक सबसे यादगार दिवाली होनी वाली है। उत्तर प्रदेश की सरकार अयोध्या में एक भव्य और ऐतिहासिक दीपोत्सव का आयोजन कर रही है। इस दीपोत्सव का आयोजन 11 नवंबर को होने वाला है, जिसमें 24 लाख दीपक जलाए जाएंगे, जो एक रिकॉर्ड कामयाबी के साथ होगा।
दीपोत्सव के तहत अयोध्या के विभिन्न घाटों पर दीपों की तैयारी की जा रही है, जिसमें राम की पौड़ी और चौधरी चरण सिंह घाट भी शामिल है। इसके साथ ही, पूरे शहर को दीपावली के मौके पर शानदार तरीके से सजाया गया है। दीपोत्सव के दौरान, लेजर शो की भी तैयारी हो रही है, जिसके माध्यम से भगवान राम के जीवन की झांकी प्रस्तुत की जाएगी।
दीपोत्सव के माध्यम से तुलसीकृत रामचरितमानस के सात कांडों का प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे राम के जीवन आदर्शों को प्रस्तुत किया जाएगा। इस कार्यक्रम में देशी और विदेशी कलाकार भी रामलीला पेश करेंगे, जिसमें रूस, श्रीलंका, सिंगापुर और नेपाल के कलाकार भी शामिल होंगे। 25 हजार से ज्यादा वालंटियर्स ने दीपोत्सव में एक बार फिर विश्व रिकॉर्ड कायम करने का फैसला किया है। बतां दें कि इस दीपोत्सव में दियों में सरसों का तेल वालंटियर्स की तरफ से डाला गया है।
इस बार उत्सव में यूपी के साथ कई और प्रदेशों की संस्कृति से भी रूबरू कराया जाएगा। इसके अलावा कुमार विशु जी के मधुर आवाज में गाए भजनों की गंगा भी बहेगी। दीपोत्सव के दौरान, सरयू नदी के किनारे एक भव्य लेजर शो भी आयोजन किया जा रहा है, जो आकर्षण का केंद्र बनेगा। सरयू नदी के तट को भी सुंदर तरीके से सजाया गया है, और सरयू नदी पर बने पुल पर भी लाइटों की सुंदर माला बनाई गई है।
इस दीपोत्सव की विशेषता यह है कि इसमें ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, और विदेशी कलाकारों की रामलीला भी होगी। इसके साथ ही, देश के 21 प्रदेशों की रामलीला और रामायण परंपरा पर आधारित लोक प्रस्तुतियों का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें लगभग ढाई हजार कलाकार शामिल हैं। यह दीपोत्सव अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर के निर्माण के साथ हो रहा है, जो 22 जनवरी 2024 को पूरा होने की तैयारी में है। यह दीपोत्सव अयोध्या के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को महसूस कराने वाला एक बड़ा और आत्मिक आयोजन है, और यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत को समर्पित रूप से सजाने और मनाने का प्रयास किया जा रहा है।
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