एक पार्टी में सांप के जहर के संदिग्ध इस्तेमाल को लेकर यूट्यूबर और ‘बिग बॉस ओटीटी-2′ के विजेता एल्विश यादव से नोएडा पुलिस ने मंगलवार देर रात करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। पुलिस के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यादव, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत पिछले सप्ताह यहां दर्ज की गई एफआईआर में नामित लोगों में से एक हैं। एल्विश यादव मामले पर उत्तर प्रदेश के वन मंत्री अरुण सक्सेना ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है और इस प्रकरण में कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
रात करीब 11.30 बजे वह थाने पहुंचे
नोएडा पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘‘यादव जांच में शामिल हुए। मंगलवार रात करीब 11.30 बजे वह थाने पहुंचे। फिर उनसे करीब दो घंटे तक पूछताछ की गई और छोड़ दिया गया।” मामले में गिरफ्तार पांच लोगों की हिरासत के लिए पुलिस पहले ही आवेदन कर चुकी है। पांचों लोगों को तीन नवंबर को सेक्टर-51 के एक बैंक्वेट हॉल से गिरफ्तार किया गया था और उनके कब्जे से पांच कोबरा सहित नौ सांपों को बचाया गया था। उनके कब्जे से 20 मिलीलीटर सांप का संदिग्ध जहर भी जब्त किया गया था।
आज फिर होगी पूछताछ
पुलिस उपायुक्त जोन प्रथम हरिश चंदर ने बताया कि एल्विश को पूछताछ के लिए आज दोबारा बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि एल्विश से मिली जानकारी के आधार पर वैज्ञानिक विधि और अन्य साक्ष्यों के आधार पर इस मामले की जांच की जा रही है। पुलिस ने कहा कि यादव पार्टी हॉल में मौजूद नहीं थे हालांकि सांप के जहर के इस्तेमाल के पूरे मामले में उनकी भूमिका की जांच की जा रही है, जिसका खुलासा पशु अधिकार समूह पीएफए (पीपुल्स फॉर एनिमल्स) ने किया था। अधिकारी के अनुसार एल्विश से पुलिस उपायुक्त हरिश चंदर, अपर पुलिस उपायुक्त शक्ति मोहन अवस्थी, सहायक पुलिस आयुक्त रजनीश वर्मा, थाना सेक्टर-20 के प्रभारी निरीक्षक डी.पी. शुक्ला, सहित पुलिस के कई अधिकारियों ने पूछताछ की।
जहरीले सांपों को जंगल में छोड़ दिया गया
पुलिस अधिकारियों के अनुसार एल्विश काफी संभल कर पुलिस के सवालों के जवाब दे रहा था। इस बीच वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जहरीले सांपों को सूरजपुर स्थित जंगल में छोड़ दिया गया है। बरामद नौ सांपों का सोमवार को वन विभाग के डाक्टरों ने मेडिकल टेस्ट किया था। दरअसल, ये सभी सांप एल्विश यादव मामले का अहम सबूत है। इस कारण सभी सांपों का मेडिकल परीक्षण करना जरुरी था। वन विभाग ने अदालत के सामने सांपों को छोड़ने की अर्जी पेश की थी। अदालत के आदेश पर सभी सांप जगल में छोड़ दिए गए।
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