इस बार प्रशासनिक असफलता का गुस्सा सरकार पर या अफसरशाही पर नहीं बल्कि व्यापारियों ने सरकारी कंप्यूटरों पर उतारा है, डिजिटल प्रक्रिया पर उतारा है। चावल मिल मालिकों का आरोप है कि डिजिटल प्रक्रिया पंजाब सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट इन्वेस्ट पंजाब को असफल करने पर लगी हुई है। आरोप है कि चावल मिल मालिकों ने अपने उद्योग भी नहीं लगाये और डिजिटल प्रक्रिया ने उनके करोड़ों रुपए बेमतलब ही खर्च करवा दिए, समय रहते इन्वेस्ट पंजाब पोर्टल ने उद्योगों के लिए एन ओ सी ( कोई आपत्ति नहीं ) दिया और वो उद्योग लगाने से वंचित रह गए।
व्यापारियों के शिष्टमंडल मुख्यमंत्री निवास पर गये परन्तु मुख्यमंत्री कही बाहर गये हुए थे, जबकि मंत्रियों सिंह जोड़े माजरा, लाल चंद कटारूचक ने कह दिया कि डिजिटल प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री ही कोई बात कर सकते है और शैलर मालिकों को कोई अवसर दे सकते है। मुख्यमंत्री निवास में जॉइंट सेक्रेटरी नवराज सिंह बराड़ को ज्ञापन देने के बाद बाहर आकर पत्रकारों से अपनी दास्तान सुनाई कि कैसे पंजाब सरकार के इन्वेस्ट पँजाब पोर्टल से एन ओ सी लेट मिलने के चलते, शैलर कारोबारी को शैलर तैयार करने के लिए सिर्फ 45 दिनों का समय मिला। फिर भी उन्होंने 90% तक शेलर तैयार कर लिए, लेकिन ढाई सौ शैलर कारोबारियों को उद्योग लगाने से अस्वीकृति दे दी। जिससे लगभग 250 शेलर कारोबारी हजारों करोड़ रुपए का नुकसान तले आ गए हैं।
शैलर कारोबारियों ने आज ज्ञापन देकर गुहार लगाई कि उन्हें एक मौका दे दिया जाए ताकि उनके व उनके मुलाजिमों के चूल्हे बन्द न हों । व्यापारियों का कहना था कि चावल मिलो को लगाने के लिए उन्होंने ऋण लिया था और शैलर उद्योग में निवेश किया था। शैलर मिल मालिकों ने सरकार से एक मौका देने को कहा है। उन्होंने ये भी कहा कि विभाग द्वारा की गई जांच में भी शैलरों का कार्य मुकम्मल पाया गया है। बाद में व्यापारी मंत्री चेतन सिंह जोड़े माजरा और लाल चंद कटारूचक को भी मिले, लेकिन मंत्रियों का कहना था कि सोमवार को मुख्यमंत्री इस बारे में कोई फैसला ले पाएंगे।
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